भारत की अर्थव्यवस्था में कृषि और पशुपालन का महत्वपूर्ण स्थान है। ग्रामीण क्षेत्रों में यह न केवल आजीविका का स्रोत है, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक ताने-बाने का भी अभिन्न हिस्सा है। हाल के वर्षों में, सरकार ने अमृतधारा योजना जैसी पहलों के माध्यम से गाय पालन को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं, जिससे किसानों और पशुपालकों को आर्थिक सशक्तिकरण मिल सके।
अमृतधारा योजना का मुख्य उद्देश्य देशी गायों के पालन को प्रोत्साहित करना है। यह योजना न केवल पशुपालकों की आय में वृद्धि करती है, बल्कि जैविक खेती और स्वदेशी नस्लों के संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। देशी गायों का दूध पोषक तत्वों से भरपूर होता है, जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है।
इस योजना के अंतर्गत, देशी गाय पालने वाले किसानों को 30,000 रुपये की अनुदान राशि प्रदान की जाती है। यह राशि किसानों को गाय खरीदने और उनके रखरखाव में सहायता करती है। इसके अलावा, मिनी डेयरी स्थापित करने पर कुल लागत का 25% सब्सिडी दी जाती है, जिससे छोटे और मध्यम किसानों को डेयरी व्यवसाय में प्रोत्साहन मिलता है।
सरकार ने अनुसूचित जाति के पशुपालकों के लिए विशेष प्रावधान किए हैं। यदि वे 2-3 पशुओं की डेयरी स्थापित करते हैं, तो उन्हें कुल लागत का 50% सब्सिडी प्रदान की जाती है। यह कदम सामाजिक समानता और आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में महत्वपूर्ण है।
जो पशुपालक 20 या उससे अधिक दुधारू पशुओं की हाईटेक डेयरी स्थापित करना चाहते हैं, उन्हें सरकार द्वारा ब्याज में विशेष छूट प्रदान की जाती है। यह पहल बड़े पैमाने पर डेयरी उद्योग को आधुनिक बनाने और उत्पादन क्षमता बढ़ाने में सहायक है।
पशुपालकों को पशुधन बीमा योजना के तहत भी लाभ मिलता है। इस योजना में गाय, भैंस, बकरी, ऊंट, घोड़ा आदि पशुओं के लिए 88,000 रुपये तक का बीमा कवर प्रदान किया जाता है। प्रीमियम राशि 25 रुपये से 100 रुपये तक होती है, जो तीन वर्षों के लिए मान्य है। अनुसूचित जाति के पशुपालकों के लिए यह योजना निःशुल्क है।
योजना का लाभ उठाने के लिए, पशुपालकों को अपने नजदीकी कृषि या पशुपालन विभाग में आवेदन करना होगा। आवेदन के साथ आवश्यक दस्तावेज, जैसे पहचान पत्र, बैंक खाता विवरण और पशु की जानकारी जमा करनी होगी। आवेदन स्वीकार होने के बाद, संबंधित अधिकारी पशु का निरीक्षण करेंगे, जिसके पश्चात अनुदान राशि सीधे किसान के बैंक खाते में ट्रांसफर की जाएगी।
अमृतधारा योजना के माध्यम से जैविक खेती को भी बढ़ावा मिलता है। देशी गायों के गोबर और मूत्र से तैयार खाद और कीटनाशक रासायनिक उर्वरकों का उत्कृष्ट विकल्प हैं। इससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है और फसलों की गुणवत्ता में सुधार होता है, जो किसानों को बेहतर मूल्य दिलाने में सहायक है।
सरकार की यह पहल ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने और पशुपालन को लाभदायक व्यवसाय बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। अमृतधारा योजना से न केवल किसानों की आय में वृद्धि होगी, बल्कि स्वदेशी नस्लों का संरक्षण और जैविक उत्पादों का प्रसार भी संभव होगा।
अमृतधारा योजना जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से सरकार गाय पालन और पशुपालन को प्रोत्साहित कर रही है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर सृजित हो रहे हैं। यह योजना किसानों और पशुपालकों के लिए आर्थिक स्थिरता और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करती है, जिससे देश की कृषि आधारित अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलती है।