हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के 69,000 शिक्षक भर्ती मामले में बड़ा फैसला सुनाया, जिसने राज्य सरकार और हज़ारों शिक्षकों को एक नए संकट में डाल दिया है। इस विवाद का आरंभ तब हुआ जब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 69,000 सहायक शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार को एक नई मेरिट लिस्ट तैयार करने का आदेश दिया। इस आदेश के तहत पिछली सूची को रद्द कर दिया गया, जिससे हज़ारों शिक्षकों की नौकरियाँ ख़तरे में पड़ गईं।
Table of Contents
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाते हुए योगी सरकार से इस पर स्पष्टीकरण मांगा है। यह मामला अब 23 सितंबर को फिर से सुना जाएगा। मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने हाईकोर्ट के आदेश को अस्थायी तौर पर रोक दिया है और राज्य सरकार को इस मुद्दे पर अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया है।
विवाद की जड़ में क्या है?
यह विवाद 2018 में शुरू हुआ जब यूपी सरकार ने 69,000 सहायक शिक्षकों की भर्ती की घोषणा की। इसके बाद परीक्षा का आयोजन हुआ, लेकिन जब कटऑफ मार्क्स घोषित किए गए तो विवाद शुरू हो गया। अनारक्षित श्रेणी का कटऑफ 67.11 प्रतिशत और ओबीसी का 66.73 प्रतिशत था, लेकिन आरक्षण नियमों को लेकर कई दावे किए गए कि इसका पालन सही से नहीं हुआ।
इस विवाद को लेकर मामला हाईकोर्ट में पहुंचा, जहां अदालत ने नई मेरिट लिस्ट तैयार करने का आदेश दिया। हाईकोर्ट का फैसला 69,000 शिक्षकों के भविष्य पर सवाल खड़ा करता है। सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल इस आदेश पर रोक लगा दी है, जिससे शिक्षकों को थोड़ी राहत मिली है, लेकिन मामला अभी भी पेचीदा है।
सरकार का पक्ष
योगी सरकार इस पूरे मामले में शुरू से ही फंसी हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि जब तक राज्य सरकार द्वारा नई सूची पेश नहीं की जाती, तब तक पिछली सूची को बरकरार रखा जाएगा। सरकार का कहना है कि नई मेरिट लिस्ट तैयार करने का निर्णय अब भी विचाराधीन है, और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार इस पर अगले कुछ हफ्तों में काम किया जाएगा।
शिक्षकों का क्या होगा?
हजारों शिक्षक जो पहले से चयनित थे, वे इस फैसले से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। कई शिक्षकों की नौकरियाँ अधर में लटक गई हैं, और इस अनिश्चितता से वे मानसिक और आर्थिक रूप से परेशान हैं। कोर्ट के इस फैसले के बाद शिक्षक संगठनों ने अपनी मांगों को लेकर सरकार पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। उनका कहना है कि इतने लंबे समय से चली आ रही भर्ती प्रक्रिया को अब जल्द ही समाप्त किया जाना चाहिए, ताकि शिक्षक अपनी सेवाएँ देने के लिए स्वतंत्र हो सकें।
अगली सुनवाई और संभावित परिणाम
सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्देशों के बाद अब अगली सुनवाई 23 सितंबर को होगी, जिसमें उम्मीद है कि कोर्ट राज्य सरकार और शिक्षकों के हित में कोई अंतिम फैसला सुना सकता है। यदि सुप्रीम कोर्ट हाईकोर्ट के फैसले को पलटता है, तो हज़ारों शिक्षकों को राहत मिलेगी, लेकिन अगर कोर्ट ने सरकार को नई मेरिट लिस्ट तैयार करने का आदेश दिया, तो राज्य की भर्ती प्रक्रिया में एक और बड़ा बदलाव देखा जा सकता है।
FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)
सुप्रीम कोर्ट ने 69,000 शिक्षक भर्ती पर क्या फैसला दिया है?
सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगाई है, जिसमें उत्तर प्रदेश सरकार को नई मेरिट लिस्ट तैयार करने का निर्देश दिया गया था।
इस मामले में अगली सुनवाई कब होगी?
अगली सुनवाई 23 सितंबर को होगी, जिसमें सुप्रीम कोर्ट अंतिम फैसला सुना सकता है।
शिक्षकों की नौकरियाँ किस प्रकार प्रभावित हुई हैं?
इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद पिछली मेरिट लिस्ट रद्द हो गई थी, जिससे हज़ारों शिक्षकों की नौकरियाँ ख़तरे में पड़ गई थीं। सुप्रीम कोर्ट द्वारा आदेश पर रोक लगाने के बाद फिलहाल उन्हें थोड़ी राहत मिली है।
क्या नई मेरिट लिस्ट तैयार की जाएगी?
यह फैसला अभी सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर निर्भर करता है। यदि कोर्ट हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखता है, तो सरकार को नई मेरिट लिस्ट तैयार करनी होगी।