प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन पेंशन योजना भारत सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है जो असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने का काम कर रही है। यह योजना उन करोड़ों मजदूरों के लिए एक सुनहरा अवसर है जो दिन-रात मेहनत करके देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाते हैं लेकिन अपने बुढ़ापे की सुरक्षा के लिए चिंतित रहते हैं।
इस योजना की शुरुआत 15 फरवरी 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा की गई थी। प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन पेंशन योजना का मुख्य उद्देश्य असंगठित क्षेत्र के कामगारों को 60 वर्ष की आयु के बाद 3000 रुपए की मासिक पेंशन प्रदान करना है। यह राशि भले ही दिखने में कम लगे, लेकिन एक मजदूर के लिए यह उसकी मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करने में काफी सहायक सिद्ध होती है।
योजना में शामिल होने के लिए आयु सीमा का विशेष महत्व है। जो व्यक्ति इस योजना का लाभ उठाना चाहता है, उसकी आयु 18 से 40 वर्ष के बीच होनी चाहिए। यह आयु सीमा इसलिए निर्धारित की गई है ताकि व्यक्ति अधिक समय तक योजना में योगदान दे सके और 60 वर्ष की आयु में बेहतर पेंशन का लाभ उठा सके। 18 वर्ष की आयु में शामिल होने वाले व्यक्ति को 55 रुपए प्रतिमाह का योगदान देना होता है, जबकि 40 वर्ष की आयु में शामिल होने वाले को 200 रुपए प्रतिमाह देना पड़ता है।
प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन पेंशन योजना में आवेदन की प्रक्रिया बेहद सरल और पारदर्शी है। सबसे पहले आवेदक को अपने नजदीकी कॉमन सर्विस सेंटर या डिजिटल सेवा केंद्र जाना होता है। वहां पर आधार कार्ड, बैंक पासबुक, और मोबाइल नंबर की आवश्यकता होती है। आवेदन के दौरान व्यक्ति का केवाईसी वेरिफिकेशन होता है और उसके बाद योजना में नामांकन हो जाता है। ऑनलाइन आवेदन की सुविधा भी उपलब्ध है, जिसके लिए व्यक्ति श्रम और रोजगार मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट पर जा सकता है।
इस योजना की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि सरकार भी बराबर का योगदान करती है। यदि कोई व्यक्ति 100 रुपए मासिक जमा करता है, तो सरकार भी 100 रुपए का योगदान करती है। यह 50-50 के अनुपात में योगदान की व्यवस्था है, जो इस योजना को और भी आकर्षक बनाती है। यह सह-योगदान की नीति दर्शाती है कि सरकार मजदूरों के कल्याण के लिए कितनी गंभीर है।
वेतन की दृष्टि से देखा जाए तो इस योजना में वही व्यक्ति शामिल हो सकता है जिसकी मासिक आय 15000 रुपए या उससे कम हो। यह आय सीमा इसलिए निर्धारित की गई है ताकि वास्तव में जरूरतमंद लोगों को इसका लाभ मिल सके। अधिकांश असंगठित क्षेत्र के मजदूरों की आय इसी सीमा के अंतर्गत आती है, इसलिए यह एक व्यावहारिक निर्णय है।
प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन पेंशन योजना में शामिल होने के लिए कुछ महत्वपूर्ण शर्तें हैं। सबसे पहले, आवेदक भारत का नागरिक होना चाहिए। दूसरे, उसे किसी भी अन्य सामाजिक सुरक्षा योजना जैसे ईपीएफ, ईएसआईसी आदि का सदस्य नहीं होना चाहिए। तीसरे, उसे आयकरदाता नहीं होना चाहिए। ये शर्तें सुनिश्चित करती हैं कि योजना का लाभ सही व्यक्ति को मिले।
योजना का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यदि किसी कारणवश लाभार्थी की मृत्यु हो जाती है, तो उसकी पत्नी को 1500 रुपए की मासिक पेंशन मिलती रहेगी। यह व्यवस्था परिवार की सुरक्षा के लिए बेहद जरूरी है। इसके अलावा, यदि दंपति दोनों इस योजना के सदस्य हैं, तो वे अलग-अलग योगदान देकर अलग-अलग पेंशन के हकदार होते हैं।
असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिए यह योजना एक वरदान साबित हो रही है। रिक्शा चालक, सफाई कर्मचारी, दर्जी, मोची, घरेलू कामगार, खेतिहर मजदूर और छोटे व्यापारी जैसे तमाम लोग इसका लाभ उठा रहे हैं। प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन पेंशन योजना ने उन्हें भविष्य की चिंता से मुक्ति दिलाई है और उनके जीवन में एक नई आशा जगाई है।
योजना की सफलता इस बात से समझी जा सकती है कि लाखों लोग पहले ही इसमें नामांकन करा चुके हैं। सरकार का लक्ष्य है कि आने वाले समय में 10 करोड़ श्रमिकों को इस योजना से जोड़ा जाए। यह न केवल व्यक्तिगत सुरक्षा बल्कि राष्ट्रीय विकास की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है।
इस प्रकार प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन पेंशन योजना असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा की एक मजबूत दीवार का काम कर रही है और देश के करोड़ों मेहनतकशों के सपनों को साकार करने में अपनी भूमिका निभा रही है।