प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के तहत अब कारीगरों और पारंपरिक शिल्पकारों को 4 लाख रुपये तक का लोन मिलना शुरू हो गया है। इस योजना का उद्देश्य उन लोगों को आर्थिक संबल देना है, जो अपनी कला और हुनर के दम पर अपना व्यवसाय चलाते हैं। यह योजना न केवल उनके व्यवसाय को विस्तार देने में मददगार है, बल्कि उन्हें वित्तीय रूप से आत्मनिर्भर भी बना रही है।
अब तक कारीगरों और शिल्पकारों को पूंजी की कमी के चलते अपने काम में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता था। बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ रही थी, लेकिन कारीगरों के पास नए औजार और तकनीक अपनाने के लिए आवश्यक पूंजी नहीं थी। ऐसे में पीएम विश्वकर्मा योजना एक संजीवनी बनकर आई है। अब पात्र लाभार्थियों को 4 लाख रुपये तक का लोन दिया जा रहा है, वह भी आसान शर्तों पर और बेहद कम ब्याज दर पर।
सरकार ने इस योजना को इतना सरल बनाया है कि छोटे कारीगरों को लोन लेने में कोई दिक्कत न हो। इसके लिए लाभार्थियों को सबसे पहले नजदीकी कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) या ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से आवेदन करना होगा। एक बार आवेदन स्वीकृत हो जाने के बाद उन्हें दो चरणों में लोन दिया जाएगा। पहले चरण में 1 लाख रुपये का लोन मिलता है, जिसकी ब्याज दर केवल 5% है। इसे 18 महीनों में चुकाने की सुविधा दी गई है। दूसरे चरण में 2 लाख रुपये तक का लोन मिलता है, जिसकी पुनर्भुगतान अवधि 30 महीने है। अब सरकार ने इस राशि को बढ़ाकर 4 लाख रुपये कर दिया है, जिससे कारीगरों को और अधिक सहायता मिल रही है।
पीएम विश्वकर्मा योजना का लाभ उन लोगों को दिया जा रहा है, जो पारंपरिक और हस्तशिल्प से जुड़ी कारीगरी में संलग्न हैं। इसमें बढ़ई, लोहार, मोची, दर्जी, सुनार, राजमिस्त्री, टोकरी बुनकर, मूर्तिकार, खिलौना निर्माता, मछली पकड़ने का जाल बनाने वाले, नाई और धोबी जैसे कुल 18 पारंपरिक व्यवसाय शामिल हैं। योजना का उद्देश्य है कि इन छोटे व्यवसायियों को तकनीक और वित्तीय सहायता मिले, ताकि वे बाजार में प्रतिस्पर्धा कर सकें और अपना व्यापार आगे बढ़ा सकें।
इस योजना में केवल लोन ही नहीं दिया जा रहा, बल्कि सरकार द्वारा इन कारीगरों को प्रशिक्षण और वित्तीय सहायता भी दी जा रही है। लाभार्थियों को 15 दिनों का मुफ्त प्रशिक्षण दिया जाता है, जिसमें उन्हें आधुनिक औजारों और तकनीकों का ज्ञान दिया जाता है। प्रशिक्षण के दौरान उन्हें प्रतिदिन 500 रुपये का भत्ता भी दिया जाता है, ताकि उनकी आमदनी प्रभावित न हो। इसके अलावा, उन्हें टूलकिट के लिए 15,000 रुपये का अनुदान भी दिया जाता है, जिससे वे अपने औजारों को आधुनिक बना सकें।\
पीएम विश्वकर्मा योजना के तहत 4 लाख रुपये तक का लोन मिलने से सबसे अधिक फायदा उन लोगों को हो रहा है, जो अपना खुद का व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं। पहले कई कारीगर पैसों की कमी के कारण व्यवसाय में जोखिम लेने से बचते थे, लेकिन अब इस योजना के तहत उन्हें वित्तीय सुरक्षा दी जा रही है। इतना ही नहीं, योजना के तहत लाभार्थियों को डिजिटल लेन-देन को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है, जिससे उनके व्यवसाय को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर विस्तार मिल सके।
इस योजना की एक खासियत यह भी है कि इसमें सरकार ब्याज दर पर सब्सिडी दे रही है। आमतौर पर लोन पर 12% से 14% तक ब्याज लिया जाता है, लेकिन पीएम विश्वकर्मा योजना के तहत यह दर केवल 5% रखी गई है। ब्याज पर मिलने वाली सब्सिडी से कारीगरों को काफी राहत मिल रही है और उन्हें लोन चुकाने में आसानी हो रही है।
पीएम विश्वकर्मा योजना के तहत कई कारीगरों ने सफलता की नई इबारत लिखी है। उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ के रहने वाले रामलाल पहले छोटी सी लकड़ी की दुकान चलाते थे, लेकिन उनके पास आधुनिक मशीनें खरीदने के लिए पैसे नहीं थे। जब उन्हें पीएम विश्वकर्मा योजना के तहत 4 लाख रुपये का लोन मिला, तो उन्होंने आधुनिक मशीनें खरीदीं। इससे उनका उत्पादन बढ़ा और उनकी आय में तीन गुना वृद्धि हुई।
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इसी तरह, महाराष्ट्र की पूजा बुनकर पहले हाथ से कपड़े तैयार करती थीं, लेकिन मशीन न होने की वजह से उनका काम धीमा था। पीएम विश्वकर्मा योजना के तहत उन्होंने लोन लेकर मशीन खरीदी, जिससे उनकी उत्पादन क्षमता दोगुनी हो गई और उन्हें बड़े ऑर्डर मिलने लगे।
पीएम विश्वकर्मा योजना का लाभ लेने के लिए पात्र लाभार्थियों को सरकार की आधिकारिक वेबसाइट www.pmvishwakarma.gov.in पर जाकर ऑनलाइन आवेदन करना होगा। इसके अलावा, नजदीकी कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) में जाकर भी आवेदन किया जा सकता है। आवेदन के लिए आधार कार्ड, व्यवसाय प्रमाण पत्र, बैंक खाता विवरण और पासपोर्ट साइज फोटो जैसे आवश्यक दस्तावेजों की जरूरत होती है।
पीएम विश्वकर्मा योजना कारीगरों के लिए वरदान साबित हो रही है। 4 लाख रुपये तक का लोन मिलने से कारीगरों का आत्मविश्वास बढ़ा है और वे अपने व्यवसाय को नई ऊंचाइयों पर ले जा रहे हैं। सरकार की इस पहल से देश के पारंपरिक व्यवसायों को न केवल मजबूती मिल रही है, बल्कि स्वरोजगार को भी बढ़ावा मिल रहा है। आने वाले समय में यह योजना लाखों कारीगरों के जीवन में बदलाव लाने में अहम भूमिका निभाएगी।