संपूर्ण पोषण योजना का मुख्य उद्देश्य देश के हर वर्ग के जरूरतमंदों तक पर्याप्त पोषण पहुंचाना है। यह योजना भारत में कुपोषण की चुनौती से निपटने के लिए सरकार के व्यापक प्रयासों का हिस्सा है। इस योजना के तहत मुख्य रूप से बच्चों, गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली माताओं और कमजोर वर्गों पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
इस योजना में पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पोषणयुक्त खाद्य सामग्री का वितरण और लोगों में पोषण संबंधी जागरूकता बढ़ाना शामिल है। सरकार ने इस योजना के माध्यम से पोषणयुक्त तांदूल (फोर्टिफाइड राइस) का वितरण प्रारंभ किया है, जो आयरन, फोलिक एसिड और विटामिन बी-12 जैसे आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर है। यह प्रयास कुपोषण से निपटने और स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद करेग
इसके अलावा, योजना में राष्ट्रीय पोषण माह जैसे अभियानों के माध्यम से सामाजिक भागीदारी को बढ़ावा दिया गया है। 2024 के पोषण माह के दौरान देशभर में 10 करोड़ से अधिक गतिविधियों का आयोजन किया गया, जिसमें आंगनवाड़ी सेवाओं, स्कूलों और स्थानीय संस्थाओं ने मिलकर योगदान दिया। इस तरह की गतिविधियां पोषण को लेकर जागरूकता और व्यवहार में बदलाव लाने में सहायक होती हैं
योजना के अंतर्गत प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण (PM POSHAN) का भी समावेश है, जिसके तहत सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में बच्चों को गर्म पका हुआ भोजन उपलब्ध कराया जाता है। इसका उद्देश्य बच्चों को शिक्षा के प्रति प्रेरित करना और उनकी पोषण स्थिति में सुधार लाना है। प्राथमिक स्तर पर 450 कैलोरी और 12 ग्राम प्रोटीन जबकि उच्च प्राथमिक स्तर पर 700 कैलोरी और 20 ग्राम प्रोटीन का मानक निर्धारित किया गया है
सरकार ने इसे सफल बनाने के लिए एकीकृत बाल विकास सेवाओं (ICDS) के तहत कई अन्य योजनाओं को भी जोड़ा है। इनमें प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना और किशोरियों के लिए योजनाएं शामिल हैं, जो विभिन्न आयु वर्गों की पोषण आवश्यकताओं को पूरा करने पर केंद्रित हैं
इस योजना की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि जमीनी स्तर पर प्रभावी कार्यान्वयन और सामाजिक जागरूकता को कितना बढ़ावा दिया जा रहा है। भारत के विभिन्न राज्यों, जैसे महाराष्ट्र और बिहार, ने इस दिशा में सराहनीय प्रयास किए हैं, जो अन्य राज्यों के लिए प्रेरणा स्रोत बन सकते हैं
इस योजना से न केवल पोषण संबंधी समस्याओं का समाधान हो रहा है, बल्कि यह बच्चों और महिलाओं की समग्र स्वास्थ्य स्थिति में सुधार लाने में भी प्रभावी है। “संपूर्ण पोषण” का विचार अब महज एक सरकारी पहल नहीं, बल्कि एक जन आंदोलन बनता जा रहा है। यह स्पष्ट है कि इस तरह की योजनाएं देश की सामाजिक और आर्थिक उन्नति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।