प्रधानमंत्री मुद्रा योजना भारत सरकार द्वारा शुरू की गई सबसे लोकप्रिय वित्तीय सहायता योजनाओं में से एक है, जिसका उद्देश्य छोटे और सूक्ष्म व्यवसाय मालिकों को सशक्त बनाना है। इस योजना के अंतर्गत दुकानदारों, कारीगरों, सेवा प्रदाताओं और छोटे व्यापारियों जैसे लोग, जो पारंपरिक बैंकिंग प्रणाली से ऋण प्राप्त करने में असमर्थ रहते हैं, अब आसानी से बिना किसी जमानत के ऋण ले सकते हैं। इस योजना के अंतर्गत ऋण तीन श्रेणियों में दिया जाता है – शिशु, किशोर और तरुण – जो व्यवसाय की अलग-अलग जरूरतों और विकास के चरणों को कवर करते हैं। इसमें सबसे छोटे स्तर की पूंजी से लेकर बड़े विस्तार तक की आवश्यकताओं को शामिल किया गया है।
(PMMY) Pradhan Mantri Mudra Yojana के अंतर्गत अधिकतम ₹10 लाख तक का ऋण दिया जाता है और इसकी अदायगी की शर्तें भी काफी लचीली रखी गई हैं ताकि व्यवसायी अपने कारोबार के अनुसार राशि चुका सकें। शिशु श्रेणी में ₹50,000 तक का ऋण दिया जाता है, किशोर श्रेणी में ₹50,000 से ₹5 लाख तक और तरुण श्रेणी में ₹5 लाख से ₹10 लाख तक की राशि उपलब्ध कराई जाती है। इस संरचना से छोटे व्यवसायी अपनी जरूरत के अनुसार आवेदन कर सकते हैं और धीरे-धीरे बड़े ऋण की ओर बढ़ सकते हैं। इस योजना की खासियत यह है कि इसमें किसी प्रकार की जमानत या सुरक्षा की आवश्यकता नहीं होती, जिससे यह पहली बार ऋण लेने वाले और संपत्ति न रखने वाले उद्यमियों के लिए बहुत उपयोगी साबित होती है।
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना का लाभ विभिन्न क्षेत्रों को मिलता है, चाहे वह विनिर्माण हो, व्यापार हो या सेवा से जुड़ा कोई काम। ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों के उद्यमी इसके पात्र हैं। इस योजना ने न केवल वित्तीय सहायता प्रदान की है, बल्कि युवाओं और महिलाओं में स्वरोजगार को भी बढ़ावा दिया है। ऋण आवेदन सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, निजी बैंक, सहकारी बैंक और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के माध्यम से किया जा सकता है। आवेदकों को एक साधारण फॉर्म के साथ केवाईसी विवरण, व्यवसाय योजना और जरूरी दस्तावेज जमा करने होते हैं।
(PMMY) Pradhan Mantri Mudra Yojana के तहत मुद्रा कार्ड भी जारी किया जाता है, जो डेबिट कार्ड की तरह काम करता है और उधारकर्ताओं को आसानी से धन निकालने व कारोबार से जुड़ा लेन-देन करने की सुविधा देता है। इससे पारदर्शिता बनी रहती है और ऋण के उपयोग की निगरानी करना सरल हो जाता है। कुल मिलाकर यह योजना छोटे व्यवसायों को बढ़ावा देने, आय उत्पन्न करने और भारत की उद्यमिता प्रणाली को मजबूत करने में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुई है।